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Showing posts from May, 2018

पीहर

पीहर मन हर्षो उल्लास से भर लेती है , जब कोई लड़की पीहर को चलती है। कुछ दिनों की बेपरवाही को जीने , जिंदगी में खुशियो की ऊर्जा भरने निकल पड़ती है। जब कोई लड़की ...... न रात को सोने की फिकर , न सुबह जागने की परवाह करती है। जब कोई लड़की ........ यु हो जाता है दिल कुछ बचपन सा , पापा से जिद , माँ से फरमाइश किया करती है। जब कोई लड़की ………. ये सोच के की जाना है अपने आँगन , पिया को याद कर मुस्कुराती है , फिर आना है गर्मी की छुटियों में ये सोच कर इठलाया करती है। जब कोई लड़की पीहर को चलती है।।              लेखक     शोभना व्यास (सोहा )

माँ

"क्या सीरत क्या सूरत है वो तो ममता की मूरत है पाँव छुए और काम हो गया माँ खुद में शुभ  मुहूर्त है!" Happy Mother's Day माँ पर कुछ लिख पाना सम्भव नहीं है,लेकिन अपनी भावनाओ को चंद पंक्तियों में बया करने की कोशिश की है।........  "माँ " में कैसे कहु माँ क्या होती है,           ईश्वर  का ही कोई रूप माँ होती है।                      मेरे आँसुओ को जो आँचल से पोछ देती है,                                    मेरी तुतलाती जुबा के हर शब्द को माँ थाम लेती है ।                                                                           में कैसे कहु माँ क्या होती है.......                               मेरी चिंताओ को जो पल भर में दूर कर देती है,                                माँ अपनी गोद में बीठा हर प्रश्न हल कर देती है।                                                                            में कैसे कहु माँ क्या होती है.......                               नन्हे बढ़ते मेरे कदमो को गिरने पे थाम लेती है            रात के अँधेरे मेरे पास

बात सोच की है

Hello Friends,                        में सोहा आज आपके लिए कविता नहीं,अपने द्वारा रचित  एक छोटी सी रचना को आप लोगो से बांटना चाहती हु,इसी उम्मीद  के साथ की मेरी कविताओ की तरह मेरी रचना भी आपको  पसंद आये........ बात सोच की है  एक बार की बात है हम बस स्टॉप पर अपनी बस का इंतजार कर रहे थे वहा एक कार आकर रुकी कार चालक एक महिला थी जो कार से कुछ सामान लेने उतरी थी ,हम ने देखा कार में पीछे की सीट पर एक बुजुर्ग दम्पती  बैठे थे,कुछ देर के बाद हमसे रहा  नहीं गया हमने उनसे बात करना चाही ,हमने नमस्कार किया ,दम्पति ने भी अभिवादान किया ,अच्छे लोग प्रतीत हो रहे थे ,हमारे बीच कुछ क्षण बात हुई,हमने कहा आपने अपनी बेटी को बहुत अच्छी  सिख दी है उसे अपने कार्य के लिए किसी पर भी निर्भर नहीं रहना होगा।महानुभाव ने कहा ये हमारी बेटी नहीं बहु है जनाब ,हम उसे अपनी बेटी के जैसा ही मानते  है।  ये सुन हमारा मन बहुत खुश हुआ महिलाओ को यु बराबरी  मान सम्मान मिलते देख हमें बड़ी खुशी होती है ,और जब महिला एक बहु हो तो और ज्यादा ही। हमारे द्वारा की गई तारीफ़ से  महानुभाव के चेहरे पर भी ख़ुशी थी।  कुछ क्षण विचार के बाद